प्रयास
जो भी है चलते जाता है,अपना और पराया।
क्या लेकर जग में आये थे, बतलाना रे भाया।।
माया का सब खेल जगत में ,नाच रहे नर नारी।
लूट खसोट मची है जग में,नैतिकता बेचारी ।।
अगर नहीं हम जगे अभी,तो हो जायेगी देर।
दुर्गुण ना बढ.जाये भैया, हो पाये ना अन्धेर।।
चलो संगठित हो कर सारे,मिल कर करें प्रयास।
सदगुण जीते, मानवता का होता रहे विकास।।
क्या लेकर जग में आये थे, बतलाना रे भाया।।
माया का सब खेल जगत में ,नाच रहे नर नारी।
लूट खसोट मची है जग में,नैतिकता बेचारी ।।
अगर नहीं हम जगे अभी,तो हो जायेगी देर।
दुर्गुण ना बढ.जाये भैया, हो पाये ना अन्धेर।।
चलो संगठित हो कर सारे,मिल कर करें प्रयास।
सदगुण जीते, मानवता का होता रहे विकास।।
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